अख़बार जगत। सुष्मिता सेन 1994 में मिस यूनिवर्स बनी थीं। पहली बार भारत की किसी औरत ने ये खिताब पाया था। फिर फिल्मों में आईं। और 1996 में फिल्म ‘दस्तक’ से बॉलीवुड में दस्तक दी और ढेर सारी फिल्में कीं। 2005 के बाद से फिल्मों से थोड़ा दूर हो गईं।
‘मुझे पता था कि मैं कभी त्याग करके अच्छी मां नहीं बन सकती। मां बनने का मतलब अपनी खुशियों का त्याग करना नहीं होता। अगर मैं बच्ची के आने के बाद अपना जीवन बदल देती तो मैं वो बन जाती जो मैं नहीं हूं। मैं नाखुश रहकर रेने को कैसे खुश रखती?’
रेने सुष्मिता सेन की बड़ी बेटी का नाम है। सुष्मिता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि रेने का अर्थ होता है पुनर्जन्म। वो कहती हैं कि उस बच्ची को गोद लेना उनका पुनर्जन्म था। क्योंकि ममता और मातृत्व उनके अंदर हमेशा से था। उसके लिए उन्हें शादी करने या अपनी कोख से जन्म देने के जरूरत नहीं थी। कहा गया कि सुष्मिता ने एडॉप्शन पब्लिसिटी के लिए किया है। सुष्मिता ने तब जवाब में कहा था, ‘पब्लिसिटी के लिए मैं किसी मैगजीन के कवर पर आने की कोशिश करती। संघर्ष भरे इतने बड़े दौर से गुजरने के बजाय’
कई संस्थानों से ‘न’ सुनने के बाद जब सुष्मिता एक ऐसी संस्थान में पहुंची, जो उन्हें बच्ची को अडॉप्ट करने देने के लिए राजी हुआ, तो किस्मत का एक और बुरा मोड़ आया। डॉक्टर्स ने कहा कि जिस बच्ची को वो गोद ले रही हैं, वो अंदरूनी रूप से काफी कमजोर है। आगे दिक्कत होगी लेकिन सुष्मिता अपने फैसले पर कायम रहीं। उन्होंने दूसरे डॉक्टर्स से भी बात की और रेनी को गोद लिया।
सुष्मिता कहती हैं कि वो मां बनना चाहती थीं, उनका जन्म ही मां बनने के लिए हुआ था। साल 2000 के इंडिया में, सिंगल लेडी के लिए बच्चा गोद लेना कोई आसान काम नहीं था। सुष्मिता को 26-27 डॉक्यूमेंट्स देने पड़े थे। कोर्ट के सामने ये साबित करना पड़ा था कि वो उस बच्ची को बहुत ही प्यार से रखेंगी। उन्हें 25 की उम्र में एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी, एडॉप्शन के लिए. उनके पिता को अपनी आधी से ज्यादा प्रॉपर्टी बच्ची के नाम करनी पड़ी थी। ये दिखाने के लिए कि वो लोग कितना चाहते हैं, एक बच्ची को गोद लेना।दस साल बाद दूसरी बेटी को गोद लिया नाम रखा अलीज़ा इस टाइम पर भी सुष्मिता को कड़ी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा। लेकिन कोर्ट ने देखा था कि वो अपनी पहली बेटी को किस तरह रख रही हैं। इसलिए उन्हें अलिशा को गोद लेने की परमिशन मिल गई।
और बता दें की सुष्मिता स्कूल के किसी कॉम्पिटिशन में स्टेज में जाने से डरती थीं। क्योंकि वो ठीक से अंग्रेजी नहीं बोल पाती थीं। अंग्रेजी में फ़्लूएंट होने के लिए सुष्मिता ने कड़ी मेहनत की और कुछ सालों बाद आपने उन्हें मिस यूनिवर्स के रूप में दुनिया के सबसे बड़े स्टेज पर बिना डरे अंग्रेजी बोलते देखा।
सुष्मिता का कहना है कि ‘मेरे जीवन में कई लोग आए और गए हर जाने वाला शख्स मुझे और मजबूत बनाता गया असल में मैं इन्हीं रिश्तों से सीखी हुई चीजों का जमा स्वरुप हूं.’
खबरों की मानें तो सुशिता के कम से कम 8-9 रिलेशन रहे। सुष्मिता के साथ रिलेशन में मशहूर डायरेक्टर विक्रम भट्ट,बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा,ऋतिक भसीन,बनती सहदेह,संजय नारंग ,शबीर भाटिया ,इम्तियाज़ खत्री ,मुदस्सर अज़ीज़ ,वसीम अकरम ,मानव मेनन , भी खूब चर्चा में थे। इंडिया में अगर किसी औरत के 1 से ज्यादा रिलेशन रहें, तो उसे लोग कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने में जरा भी टाइम नहीं लगाते। सुष्मिता ने लोगों की इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। रिलेशन में रहीं और खुद के ऊपर लोगों के जजमेंट से कोई फर्क नहीं पड़ने दिया। उन्होंने किसी रिलेशनशिप को किसी भी इंटरव्यू में नकारा नहीं इस बात पर उन्हें शरमाते नहीं देखा गया कि उनका बॉयफ्रेंड कभी तलाकशुदा है तो कभी उम्र में उनसे छोटा।फ़िलहाल वो अपने से 15 साल के छोटे मॉडल रोहमान शॉल के साथ चर्चे में हैं।
‘रिलेशनशिप सच में एक अच्छा शब्द है कई बार आप रिलेशनशिप में रहकर डेवलप होते हो, तो कई बार सामने वाला बंदा। ये एक नेचुरल प्रोसेस है मैंने उन लोगों को देखा है जो एकसाथ रहने के 25 सालों का जश्न मनाते हैं, और अगले दिन अलग हो जाते हैं। इसलिए कुछ भी चीज गारंटी के साथ नहीं आती मुझे लगता है कि आपके डेवलपमेंट के लिए रिलेशनशिप जरूरी होते हैं कई बार वो हमेशा के लिए रह जाते हैं, कई बार नहीं '।
सुष्मिता I AM FOUNDATION चलाती हैं। ये फाउंडेशन एक चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन है इसका एक ही सिद्धांत है- ‘देना (Giving)’. जरूरतमंद बच्चों के लिए ये फाउंडेशन काम करता है। सुष्मिता को सोशल वर्क के लिए मदर टेरेसा अवॉर्ड भी मिल चुका है।