About Contact Privacy Policy
IMG-LOGO
Home ताजाखबर देश सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने खिलाफ अनशनरत मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण
ताजाखबर

सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने खिलाफ अनशनरत मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण

by Akhbar Jagat , Publish date - Jan 04, 2023 03:25PM IST
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने खिलाफ अनशनरत मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण

सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करने खिलाफ, अनशनरत मुनि सुज्ञेयसागर ने त्यागे प्राण 

झारखंड स्थित सम्मेद शिखर को जब से पर्यटन स्थल घोषित किया गया है तब से लगातार पूरे में देश जैन समाज विरोध प्रदर्शन कर रहे है , वहीं तीर्थ स्थल को  पर्यटन स्थल घोषित करने के खिलाफ अनशनरत जैन मुनि सुज्ञेयसागर ने मंगलवार को अपने प्राण त्याग दिए। मुनि सुज्ञेयसागर ने सांगानेर स्थित जैन मंदिर में अंतिम सांस ली। सांगानेर के संघीजी जैन मंदिर में मुनि सम्मेद शिखर मामले को लेकर 25 दिसम्बर से अन्न जल त्याग कर आमरण अनशन पर थे।

यहां आचार्य के सानिध्य में पंच परमेष्ठि का ध्यान करते हुए उन्होंने अपनी देह त्याग दी। वे मध्यम सिंहनिष्क्रिड़ित व्रत में उतरते हुए उपवास कर रहे थे। मुनि सुज्ञेय सागर सांगानेर स्थित संघी जी मन्दिर में विराजित पूज्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनील सागर के शिष्य थे। मुनि सुज्ञेयसागर महाराज को सांगानेर स्थित दिगंबर जैन वीरोदेय अतिशय तीर्थक्षेत्र में समाधि दी गई।

आपको बता दें कि झारखंड सरकार के फैसले के बाद मुनि सुज्ञेयसागर सांगानेर में 25 दिसंबर से अनशन कर रहे थे। मंगलवार सुबह उनकी डोल यात्रा सांगानेर संघीजी मंदिर से निकाली गई। इस दौरान आचार्य सुनील सागर सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद रहे। जैनमुनि काे जयपुर के सांगानेर में समाधि दी गई। झारखंड सरकार ने गिरिडीह जिले में स्थित पारसनाथ जी पहाड़ी को टूरिस्ट प्लेस घोषित किया है। इसके खिलाफ देशभर में जैन समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। पारसनाथ जी पहाड़ी दुनिया भर के जैन धर्म के लोगों में सर्वोच्च तीर्थ अखिल भारतीय जैन बैंकर्स फोरम के अध्यक्ष भागचन्द्र जैन ने बताया कि मुनिश्री ने सम्मेद शिखर जी को बचाने के लिए बलिदान दिया है। वे उससे जुड़े हुए थे। जैन मुनि सुनील सागर ने कहा कि सम्मेद शिखर जी हमारी शान है। आज सवेरे 6 बजे मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ब्रह्मलीन हो गए। जब उन्हें मालूम पड़ा था कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है, तो वे इसके विरोध में लगातार उपवास पर थे। राजस्थान की इस भूमि पर धर्म के लिए अपना समर्पण किया है। अब मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न का त्याग कर तीर्थ को बचाने के लिए पहल की है।

मुनि सुज्ञेयसागर का जन्म जोधपुर के बिलाड़ा में हुआ था लेकिन उनका कर्मक्षेत्र मुंबई का अंधेरी रहा। उन्होंने आचार्य सुनील सागर महाराज से गिरनार में दीक्षा ली थी। बांसवाड़ा में मुनि दीक्षा और सम्मेद शिखर में क्षुल्लक दीक्षा ली थी। मुनि ने शुरू से उपवास व्रत का पालन किया और अंत में तीर्थ को बचाने के लिए उपवास रखा। संत का घर का नाम नेमिराज था। जयपुर में जैन मुनि आचार्य शंशाक ने कहा कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर जैन समाज अभी अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहा है, आगामी दिनों में आंदोलन को उग्र भी किया जाएगा।

झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ जी ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं। जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए नौ किलोमीटर की यात्रा तय कर शिखर पर पहुंचते हैं। 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर जी को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया। गिरिडीह जिला प्रशासन ने नागरिक सुविधाएं डेवलप करने के लिए 250 पन्नों का मास्टर प्लान भी बनाया है।

आचार्य शंशाक ने कहा -
आचार्य शंशाक ने कहा कि जैन समाज अभी अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन कर रहा है, आगामी दिनों में आंदोलन को तेज किया जाएगा। मुनि सुज्ञेय सागर महाराज के धर्म के लिए अपना समर्पण करने के बाद उनका अनुसरण करते हुए मुनि समर्थ सागर ने भी अन्न का त्याग कर तीर्थ को बचाने के लिए पहल की है। आचार्य सुनील सागर ने कहा कि जो कदम सुज्ञेयसागर ने उठाया उनके भाव बहुत अच्छे थे, उनके अच्छे भावों का अच्छा फल होगा और सम्मेद शिखरजी का जो आंदोलन चल रहा है वो सफल होगा।सम्मेद शिखर जी के तौर पर प्रसिद्ध है।

Share:
Facebook Twitter Whatsapp

Related News