सनावद नगर पालिका के 18 वार्डो में कांग्रेस के 11 और भाजपा के 7 वार्ड पार्षद विजयी हुए हैं, पार्षदों के इस परिणाम की राजपत्र में अधिसूचना जारी होने के 15 दिन के भीतर जिलाधीश द्वारा प्रथम सम्मेलन करके अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को किया जाना है। जो अधिसूचना प्रकाशन के रहते फिलहाल रक्षाबंधन दिवस के आसपास दिनों में ही होना संभावित है। नगर के 18 वार्डों में से 10 महिला पार्षद निर्वाचित हुई है। वही इनमें से आरक्षित अध्यक्ष पद पर ओबीसी वर्ग पार्षद महिला का चयन होना तय है । इस बार कहने को तो नगर सरकार में महिला वर्ग यानी मातृ शक्ति का दबदबा होना समझा जाता है। जबकि यह नगर सरकार की आधी हकीकत है। क्योंकि पूर्व मैं महिला पार्षद की जगह वार्ड संचालन की कमान उनके पति या रिश्तेदारों के हाथ में ही रही है। इस मिजाज में अब भी पार्षद पति और अध्यक्ष पति ही प्रभावी भूमिका में होंगे।
पार्षद /अध्यक्ष पति की भूमिका
नगर सरकार की इस आधी हकीकत में महिला पार्षद/अध्यक्ष वैसे तो अधिकृत रूप से परिषद एवं पीआईसी बैठक एवं आयोजन आदि में उपस्थिति के लिहाज से शामिल होती रहेगी ।लेकिन कोई भी निर्णय लेने और पॉलिसी बनाने में अफसरों के सामने पति ही आएंगे। महिला पार्षद के मोबाइल नंबर उनके पति संचालित करेंगे ।ताकि कोई भी शिकायत या मीडिया से जुड़े अथवा पार्टी संबंधित वरिष्ठ नेताओं के फोन आए तो खुद अटेंड कर सके और दूसरा खुद का राजनीतिक कद बढ़ सके। पार्षद कार्यालय या घर में जहां भी वार्ड वासियों के आने है पर अक्सर पति या रिश्तेदार ही सुनवाई करेगे! वार्ड में किसी प्रकार का कोई आयोजन हो तो उनमें पतियों की शिरकत अहम होगी।
कड़वे अनुभव से रूबरू है नगर
जबकि इसके पहले की नगर सरकार में ना केवल महिला पार्षदों/अध्यक्ष के पति, पिता, पुत्र या अन्य किसी रिश्तेदार के हस्तक्षेप में नगर पालिका अधिकारियों एवं कर्मचारियों को हिदायत देना तक शामिल रहा है। दूसरी ओर अध्यक्ष पति की तानाशाही कार्यप्रणाली से नगर में अनियोजित विकास कार्य तथा विगत 2 साल की प्रशासनिक व्यवस्था में पालिका के 5 प्रभागो में गहरी जड़े जमा चुके भ्रष्टाचार और काम के प्रति लापरवाही के कड़वे अनुभवो से नगरवासी रूबरू हुए है।
अपेक्षा: नगर पालिका को पुरानी पहचान की
जिसके रहते बनने वाली नगर सरकार के मुखिया और नवागत मुख्य कार्यपालक अधिकारी से आमजन को बदलाव की काफी उम्मीदें हैं। जो सिस्टम में निगरानी और नियंत्रण की बेहतर प्रणाली से ही संभव है। चेहरे के साथ व्यवस्था मे भी सुधार हो, तो संभव है सनावद नगरपालिका को पुरानी पहचान वापस लौट सकती है।