अख़बार जगत :- . एमवाय अस्पताल में जिस पहले मरीज का बाेन मैराे ट्रांसप्लांट किया गया था, उसका कहना है कि उसे कैंसर ने फिर घेर लिया। इतना ही नहीं, अस्पताल से मरीज काे दवाइयां देना भी बंद कर दिया। ये दवाइयां इतनी महंगी हैं कि मरीज बाजार से खरीद नहीं पा रहा है। अब तक यहां करीब 20 मरीजाें के बाेन मैराे ट्रांसप्लांट किए गए, जिनमें ज्यादातर थैलीसीमिया पीड़ित बच्चे हैं। सभी के ट्रांसप्लांट नि:शुल्क किए गए।
पिछले साल मार्च में एमवायएच में बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू किया गया था। एमवाय प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल है, जहां यह सुविधा शुरू की गर्इ। कैंसर पीड़ित 35 वर्षीय उपेंद्र जैन निवासी विजय नगर पहले मरीज थे, जिनका ट्रांसप्लांट किया गया। उन्हाेंने बताया कि शुरू के छह-सात महीने ताे उन्हें एमवाय अस्पताल से दवाइयां दी गर्इं, लेकिन बाद में बजट की कमी बताकर दवा देना बंद कर दिया। पिता सर्वेश ने कई बार अस्पताल के चक्कर लगाए अाैर दवा उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई तो बीच-बीच में दवाइयां दी गर्इं, लेकिन बाद में बंद कर दिया। छह माह से वे परेशान हो रहे हैं। इधर, बेटे उपेंद्र की हालत खराब होने लगी है।
मुंबई के डॉ. राहुल भार्गव ने उनका बाेन मैराे ट्रांसप्लांट किया था। इसलिए पिता उन्हें लेकर मुंबई गए। वहां कई तरह की जांचाें में रुपए खर्च किए, लेकिन वहां बताया गया कि उपेंद्र की बीमारी रिपीट हो गई है। डाॅक्टराें ने जो दवाइयां लिखी हैं, उन पर 60 हजार रुपए महीने का खर्च है। अब उन्हें समझ नहीं आ रहा हैं कि इतने रुपए कहां से जुटाएं?