सनावद✍
बिना मानकों के क्षेत्र में संचालित हो रहे अस्पतालों पर कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। कई अस्पताल ऐसे हैं जो बिना मानकों को पूरा किए नर्सिंग माफिया के रसूख से 100 से 200 बेड की अनुमति हासिल कर लिए हैं। खबर में नया मामला सनावद के श्री नाथूलाल जी मोरी अस्पताल का है। इसे सीएमएचओ कार्यालय की ओर से 200 बेड का अस्पताल संचालित करने की अनुमति पिछले वर्ष से ही है। इस अस्पताल में मौजूदा स्थिति 50 बेड भी नहीं हैं।
मोरी अस्पताल के पास निर्मित क्षेत्र भी इतना नहीं है कि डॉक्टर कक्ष, ओटी, ओपीडी और मरीजों के सर्कुलेटिंग क्षेत्र को छोड़कर यहां 50 से बेड लगाए जा सकें, लेकिन कागजों में यह अस्पताल 200 बेड का है। 200 बेड के अनुपात में यहां स्टॉफ भी नहीं है,
तीसरे तल पर बनाए हैं वार्ड
मोरी अस्पताल तलघर सहित चार मंजिला बिल्डिंग में संचालित हो रहा है। जिसमें बेसमेंट एरिए में लैब, प्रथम तल पर ओपीडी, द्वितीय तल पर आईसीयू ओटी तीसरे तल पर जनरल, सेमी प्राइवेट और प्राइवेट वार्ड बना रखे हैं। पूरे अस्पताल में भी यदि बेड लगाए तो 50 बेड बिछाने की जगह नहीं है। प्रबंधन का दावा है कि पहले 200 बेड की अनुमति मिली थी लेकिन अब सिर्फ 100 बेड की अनुमति है। इतने बेड अस्पताल में लगे हैं।
सीएमएचओ कार्यालय का वरदहस्त
लेकिन जिले में हुई कार्रवाई के दौरान इस अस्पताल को सीएमएचओ कार्यालय का वरदहस्त प्राप्त हो गया। यह अस्पताल खंडवा जिले के एक निजी नर्सिंग कॉलेज से संबद्ध है। इस कॉलेज ने मोरी अस्पताल को 200 बेड के क्लीनिकल सेंटर बताकर नर्सिंग काउंसिल से अपने यहां प्रवेश के सीटें मांगी हैं। खंडवा की मेडिकल टीम ने इसका निरीक्षण भी किया लेकिन मौन साधकर लौटी गई। नर्सिंग माफिया ने सीएमएचओ कार्यालय को अपने प्रभाव और रसूख में लेकर मोरी अस्पताल के लिए 200 बेड की अनुमति हालिस की है। पहले यह अस्पताल मात्र 15 बेड का ही संचालित था, लेकिन नए भवन में शिफ्ट होने के बाद इसकी क्षमता बढ़कर 200 बेड हो गई, जबकि स्टॉफ, डॉक्टर आनुपातिक रूप से नहीं बढ़ाए गए।
क्या कहना है इनका
खबर मुताबिक अस्पताल संचालक डॉ. सुभाष मोरी का कहना है कोविड के समय हमारे अस्पताल को 200 बेड की अनुमति थीं, फिलहाल सौ बेड की व्यवस्था और इतनी ही परमिशन है। एसडीएम, तहसीलदार और स्वास्थ्य विभाग की टीम देखकर गई हैं। सभी नियमों को पालन कर रहे हैं।