लेखक- उमेश मिश्रा
अख़बार जगत। भारत के मिशन मंगल की कामयाबी के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) शुक्र ग्रह पर पहुंचने की तयारी में है। मिशन शुक्रयान का मुख्य उद्देश्य शुक्र के घने वातावरण का अध्ययन करना और वहाँ की सतह की पूर्ण जानकारी को एकत्र करना होगा। जिससे आने वाले समय में यह पता लगाया जा सके कि पृथ्वी की तरह क्या यहाँ भी जीवन संभव हो सकता है ?
अंतरिक्ष वैज्ञानिको का मानना है कि शुक्र ग्रह और पृथ्वी के आकार, घनत्व इनकी संरचना और गुरुत्वाकर्षण में कई तरह से समानताएं हैं। इस कारण शुक्र ग्रह को पृथ्वी की जुड़वाँ बहन कहा जाता है। सौरमण्डल में धरती के समीप होने से हम शुक्र ग्रह को अन्य ग्रहो की तुलना में पृथ्वी से उपकरणों की सहायता से आसानी से देख पाते है। सौरमंडल में पृथ्वी के संबंध में इस ग्रह की स्थिति के कारण इसे सुबह का तारा और शाम का तारा यह संज्ञा दिया गया है। यह ग्रह पृथ्वी के मुकाबले सूर्य से 30 प्रतिशत ज्यादा करीब है। जिसके चलते इस ग्रह पर सौर विकिरण, सौर फ्लेयर्स और अन्य कई सौर घटनाओं की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। वैज्ञानिको का अनुमान है कि यहाँ जीवन की संभावनाएं हो सकती है।
भारत के इस मिशन में फ़्रांस भी हमारे देश का साथ देने के लिए तैयार है। बीते दिनों फ्रांस सरकार ने अपनी आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि कर दी है, कि फ़्रांस हमारे इस मिशन मे हमारा साथ निभाएगा। फ़्रांस सन 1964 में प्रोटोकॉल एग्रीमेंट फॉर कॉर्पोरेशन इन स्पेस के बाद से हमेशा ही भारत के कई अंतरिक्ष मिशनों में साथ दे चुका है। फ्रांस के हमारे अंतरिक्ष मिशन सहयोग का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, कि (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) इसरो के मुख्यालय बंगलौर के समीप फ्रांस का एक परामर्श केंद्र भी है। फ़्रांस सरकार ने 2019 में भारत इसरो के पूर्व प्रमुख ए. एस. किरण को फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था। फ़्रांस जैसा बड़ा देश भी भारत के अंतरिक्ष शोध एवं उपलब्धियों को विश्व पटल पर सम्मान देता है।
मिशन शुक्र यान की अभी पूरी जानकारी को इसरो ने स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन हम जो यान भेजेंगे उसके द्वारा हम शुक्र ग्रह की सतह और वहाँ के वातावरण के बारे में जानकारी हासिल कर पाएंगे। फ्रांस इसके लिए हमे कुछ ऐसे उपकरण उपलब्ध कराएगा जिसके द्वारा शुक्र ग्रह के वातावरण में उपलब्ध इंफ्रारेड गैसों की जानकारी एकत्र करने में सहायता मिल सके। यदि यह मिशन सफलता पूर्वक सम्पन्न होता है, तो यह हमारे देश के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। ऐसा इसलिए क्योकि कि इस मिशन से हम अंतरिक्ष में अन्य ग्रहो पर जीवन की संभावनाएं है या नहीं इसकी खोज को आगे बढ़ा पाएंगे।
शुक्र ग्रह के बारे में कुछ वैज्ञानिको का मानना है कि यहाँ जीवन की संभावना हो सकती है। क्योकि हाल ही में खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने शुक्र के घने बादलों में एक गैसीय अणु फॉस्फीन के खोज की घोषणा की है । पृथ्वी पर, यह गैस केवल औद्योगिक रूप से या रोगाणुओं द्वारा बनाई जाती है। जो केवल ऑक्सीजन मुक्त वातावरण में ही पनप सकती है। खगोलविदों ने अनुमान लगाया है कि शुक्र ग्रह पर उच्च बादल, रोगाणुओं के लिए एक घर की तरह काम कर सकते हैं। फॉस्फीन का पता चलना शुक्र के वायुमंडल में "हवाई" जीवन की ओर इशारा कर सकता है।
इन मायनो से भारत के लिए मिशन शुक्र काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। अभी फिलहाल शुक्र ग्रह को लेकर अन्य किसी देश का मिशन क़तार में नहीं है। हालाँकि (राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष प्रशासन ) नासा का एक मिशन प्रस्तावित जरूर है, लेकिन अभी तक तय नहीं किया गया है। ऐसे में भारत के पास एक सुनहरा मौका होगा।और यदि हम इस मिशन में कामयाबी हासिल कर लेते है, तो अंतरिक्ष शोध के इतिहास में भारत की ख्याति बढ़ेगी।